भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कलि नाम काम तरु रामको / तुलसीदास

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:01, 13 अप्रैल 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कलि नाम काम तरु रामको।
दलनिहार दारिद दुकाल दुख, दोष गोर घन घामको॥१॥
नाम लेत दाहिनो होत मन, बाम बिधाता बामको।
कहत मुनीस महेस महतम, उलटे सूधे नामको॥२॥
भलो लोक परलोक तासु जाके बल ललित-ललामको।
तुलसी जग जानियत नामते सोच न कूच मुकामको॥३॥