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स्वयम्वर-कथा (रामचन्द्रिका से) / केशवदास
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सव्याम्वर-कथा
[दोहा]
खंड्परस को सोभिजे, सभामध्य कोदंड।
मानहुं शेष अशेष धर, धरनहार बरिबंड।।१।।