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हिरदा का भाव हाथ मैं जानिये / गोरखनाथ
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हिरदा का भाव हाथ मैं जानिये
यहु कलि आई षोटी ।
बद्न्त गोरष सुनो रे अवधू
करवे होइ सु निकसै टोटी ।।