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शिव स्तुति (राग बसन्त) / तुलसीदास
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शिव स्तुति (राग बसन्त)
स्ेावहु सिव-चरन-सरोज-रेनु।
कल्यान-अखिल-प्रद कामधेनु।।
कर्पूर-गौर, करूना-उदार।
संसार-सार, भुजगेन्द्र-हार।।
सुख-जन्मभूमि, महिमा अपार।
निर्गुन, गुननायक, निराकार।।
त्रयनयन, मयन-मर्दन महेस।
अहँकार-निहार-उदित दिनेस।।
बर बाल निसाकर मौलि भ्राज।
त्रैलोक-सोकहर प्रमभराज।।
जिन्ह कहँ बिधि सुगति न लिखी भाल।
तिन्ह की गति कासीपति कृपाल।।
उपकारी कोऽपर हर-समान।
सुर-असुर जरत कृत गरल पान।।
बहु कल्प उपायन करि अनेक।
बिनु संभु-कृपा नहिं भव-बिबेक।।
बिग्यान-भवन, गिरिसुता-रमन।
कह तुलसिदास मम त्राससमन।।