भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कैसे हैं चमत्कार / वीरेंद्र आस्तिक

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:25, 19 अप्रैल 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वीरेंद्र आस्तिक |संग्रह= }} {{KKCatNavgeet}} <poem> कैसे है चमत…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कैसे है चमत्कार
नेकी से हो रही बंदी

लाशें ईमानों की
हत्यारे ही रखवाले
काले को उजाला करते
जादू भरे घुटाले

लंबोदर का भेष धरे
पीते दूध की नदी

आज़ादी के जंगल राजा के
कांड घिनौने
इनकी करतूतों को
छुपकर देखें मृग-छौने

बता रहे ये
कैसी होगी इक्कीसवीं सदी

आयातित ईजादों से
हम अब तक क्या सीखें
क्या इनकी ख़ुशियों के-
स्वाद नहीं लगते तीखे?

सता रहे हैं प्रेत
समस्याएँ हो गई सती