भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गर्मियाँ / संतोष अलेक्स

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:41, 20 अप्रैल 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संतोष अलेक्स |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <Poem> गर्मियों का मत…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गर्मियों का मतलब
शहर से गाँव लौटना होता है

वहाँ जाने-अनजाने सम्बन्धियों के संग
खेतों में, अहातों में
खेलता फिरा
तालाब में डुबकियाँ लगाईँ
जामुन और इमली के पेडों पर चढ़ा
इस तरह बीत गए कितने ही दिन

पर
रिश्तों की कीमत जानी जब
शहर लौटने का समय हो चुका था तब

अनुवाद : अनिल जनविजय