Last modified on 20 अप्रैल 2011, at 20:53

प्रार्थना / अजेय

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:53, 20 अप्रैल 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

ईश्वर
मेरे दोस्त
मेरे पास आ !
यहाँ बैठ
बीड़ी पिलाऊँगा
चाय पीते हैं

इतने दिन हो गए
आज तुम्हारी गोद में सोऊँगा
तुम मुझे परियों की कहानी सुनाना

फिर न जाने कब फ़ुर्सत होगी !

1992