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लोककथा- दो / नीरज दइया
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नंग धड़ंग घूमती छोरी
उण नै म्हैं
पैराया गाबा
बाया उण रा केस
माथै हाथ फेर पूछ्यो-
’कांई नांव है थारो?’
पड़ूतर हो-
’लोककथा।’