Last modified on 23 अप्रैल 2011, at 06:03

मन रै ऐन बिचाळै / नीरज दइया

Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:03, 23 अप्रैल 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= नीरज दइया |संग्रह=साख / नीरज दइया }} [[Category:मूल राजस्…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जिकी नीं कथीजी
नीं कथीजैला
बातां भेळी है
कीं बातां ऐड़ी।

बै बातां
नीं पांतरीज सकै
नीं खुल सकै
मनां रै खोल्यां ई।

खोद खोद पूछ्‌यां ई
उणां रा कोनी लाधै-
खोज!
उणां बातां रो रस
भटकावै-
बातां रै भंवर में
आतमकथा लिखती बेळा
उणां री करीजै-
टाळ!

खुणै-खचुणै नीं
धर मेली है
घणी सावचेती सूं
मन रै ऐन बिछाळै
सिरजणहार-
बा गांठड़ी!