भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
टूटा हृदय / त्रिलोचन
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:55, 25 जून 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=त्रिलोचन }} कहीं से टूटा भी हृदय अपना नित्य अपना रहेगा...)
कहीं से टूटा भी हृदय अपना नित्य अपना
रहेगा. भूले भी पथ पर इसे छोड़ कर जो
चलेगा, भोगेगा. क्षण क्षण कहानी अवश सी
सुनाएगी गाथा, मुखर मुख होंगे सुरस से