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कैबत आळी कविता : तीन / सुनील गज्जाणी
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तूळी
छोटो घोचो
दबायोड़ी आपरै मांय लाय
औसरवादी
स्यात, आपरी डूबतै नै तिणकै आळी
कैबत साच करतो।