भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भिखारी : दो / सुनील गज्जाणी
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:15, 4 मई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुनील गज्जाणी |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem>सभ्य कॉलोनी क…)
सभ्य कॉलोनी के घरों का,
नकारा सामान,
कूड़ा करकट
कचरा पात्र में
कॉलोनी के बीचो बीच भरा पड़ा
बीनता ढूँढता,
जाने क्या
उस ढेर में
वो भिखारी।