भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पूर्वज कवि / महेश वर्मा
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:37, 6 मई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेश वर्मा |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> पूर्वज कवि आते हैं…)
पूर्वज कवि आते हैं
और सुधार देते हैं मेरी पंक्तियाँ
मैं कहता हूँ कि हस्ताक्षर कर दें जहाँ
उन्होंने बदला है कोई शब्द या पूरा वाक्य
होंठ टेढ़ा करके व्यंग्य में मुस्काते
वे अनसुनी करते हैं मेरी बात
उनकी हस्तलिपि एक अभ्यस्त हस्तलिपि है
अपने सुन्दर दिखने से बेपरवाह
और तपी हुई
कविता की ही आँच में
सुबह मैं ढूँढ़ता उनके पदचिन्ह ज़मीन पर
सपनों पर और अपनी कविता पर
फुर्र से एक गौरय्या उड़ जाती है खिड़की से