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अस्तित्व / रेखा चमोली

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दुनिया भर की स्त्रियो !
तुम ज़रूर करना प्रेम
पर ऐसा नहीं की
जिससे प्रेम करना उसी में
ढूँढ़ने लगना
आकाश, मिटटी, हवा, पानी, ताप

तुम अपनी ज़मीन पर रोपना
मनचाहे पौधे
अपने आकाश में भर लेना
क्षमता-भर उड़ान
मन के सारे ओने-कोने
भर लेना ताज़ी हवा से
भीगना जी भर के
अहसासों की बारिश में
आवश्यकता भर ऊर्जा को
समेट लेना अपनी बाँहों में

अपने मनुष्य होने की संभावनाओं को
बनाए रखना
बचाए रखना ख़ुद को
दुनिया के सौन्दर्य व शक्ति में
वृद्वि के लिए
दुनिया के अस्तित्व को
बचाए रखने के लिए ।