भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चिट्ठियाँ / नरेश अग्रवाल
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:03, 8 मई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नरेश अग्रवाल |संग्रह=नए घर में प्रवेश / नरेश अग्…)
दूर से आती है चिटि्ठयाँ
अपनों को और अधिक अपना बनाने के लिए
और दुनिया छोटे से कागज में सिमटकर
बैठ जाती है हृदय पर
पहला खत था यह बेटी का
मुझको लिखा हुआ
अपने सारे दुख:-सुख का निचोड़
घूमता रहा कई दिनों तक मेरे मन में ।