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व्यूह / शैलप्रिया

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शब्दों का व्यूह
बहुत उलझा हुआ है
मौसम कई रंगों में लिपटा है
स्मृतियों पर धुँध घिरी है
परदे सरकते हैं
जीवन के
दृष्टियाँ काले परदों से
टकराकर लौटती हैं

आसपास का वातावरण अब गीला है
नन्ही बूँदें मन के कोनों में बसी हैं
काले परदे के आगे
कुछ नहीं सूझता
आँखें भर आई हैं
वातावरण का गीलापन
एक फ़रेब है