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बैंडबाजे वाले / नरेश अग्रवाल
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आधी रात में
बैण्डबाजे वाले
लौट रहे हैं
वापस अपने घर
अन्धकार के पुल को
पार करते
जिसके एक छोर पर
खड़ी है उनकी दुखभरी जिन्दगी
और दूसरे छोर पर
सजी-धजी दुनिया ।