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घास - १ / नरेश अग्रवाल

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बारिश खींच रही है
इसके पतले- पतले हाथ
सूरज भी उठा रहा है इसे
सहारा दे-देकर ऊपर की ओर
मिट्टी ने भी सौंप दी है इसे
खाने को अपनी पूरी थाल
फिर भी उठा नहीं पाती
यह अपने पॉंव
आलस मन से सोयी रहती है
जमीन के आस-पास ।