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नाम-पता / शिवदयाल
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उड़ रही हैं हर तरफ
सूचनाओं की चिन्दियाँ
जिसने जितनी कतरनें
जमा कर ली हैं
उतना ताकतवर बन बैठा है।
धरती के दुःखों-क्लेशों पर
सूचनाच्छादित आकाश
बरसा रहा है सूचनाएँ!
लोग मशगूल हैं
दूसरी चीजों, दूसरे लोगों के बारे में
जानकारियाँ जमा करने में,
अपने से बेखबर
वे हो रहे हैं बाखबर!
इस दौर में
जबकि दुनिया एक हो रही है
सब दिशाएँ मिल रही हैं
सब भेद-अभेद मिट रहे हैं
अच्छा रहेगा
कि अपना नाम-पता
तकिए के नीचे रखकर सोया जाए
क्या पता किस क्षण
खुद की याद हो आए
और कोई दूसरा
हमें हमारी राह दिखाए!