भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बिना विद्या के भारत देश / रसूल

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:42, 21 मई 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बिना विद्या के भारत देश,
कैसी हुई गति तुम्हारी ।

लोग कहत हैं मोटर गाड़ी बहुत चलत है रेस
काठ का घोड़ा घंटा भर में चले सत्तासी कोस
राजा भोज के सवारी ।
बिना विद्या .........

ग्रामोंफोन के बोली सुन के लोग भयो लवलीन ।
विक्रमादित्य के तख्त के नीचे बत्तीस लगे मशीन,
जेहिमें बोली निकले न्यारी-न्यारी ।
बिना विद्या के .........