भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

इसी कतार में / नवनीत पाण्डे

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:40, 21 मई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नवनीत पाण्डे |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <poem>की जा रही है हत…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

की जा रही है हत्या
मेरे सामने
मेरे जीवन की
मैं देख-पहचान रहा हूं हत्यारों को
एक-एक नाम
पढ सकता हूं
पकड़-पकड़ा सकता हूं एक-एक को
बचा सकता हूं जीवन का जीवन
पर नहीं करता कुछ भी
बैठा हूं चुपचाप
क्योंकि मैं भी तो खड़ा हूं
इसी कतार में