Last modified on 22 मई 2011, at 02:43

ये सृजन-क्षण (कवि का कथ्य) / कुमार रवींद्र

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:43, 22 मई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= कुमार रवींद्र |संग्रह=आहत हैं वन / कुमार रवींद्…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आहत हैं वन, क्योंकि हवाएँ दंभी और छली हैं । कोंपल होने का उनका प्रण यों हवाओं के निर्मम प्रहार से चकित है, किंचित निष्प्रभ एवं हताश है । पतझर के पैने हमलों से आहत होने पर भी उनकी अस्मिता बरकरार है । यही अस्मिता काव्य का आधार है ।
पैनी क्रूर हवाओं के आतंक के विरोध में जब वन आहत होते हुए भी बोलते हैं, तभी वे सृजन-उत्सव आते हैं जो गीत बनते हैं ।
अपने इन सृजन-क्षणों को पूरे विस्मय और उल्लास से समूचा जीने के बाद अब इन्हें लोगों के सामने रखते हुए मुझे गहरे संकोच का अनुभव हो रहा है । अनुभूति से शब्द बनते इन क्षणों में लय स्वयमेव एक उत्सव-सी उपस्थित रही है | मेरे संकोच का कारण ये उत्सव नहीं, अपितु प्रस्तुति की मेरी अपनी सीमाएँ हैं ।
इन गीतों में जो कुछ कहा गया है, उसके लिए किसी लम्बे-चौड़े वक्तव्य की दरकार नहीं है, न ही आज के लयहीन मशीनी उपयोगितावादी प्रसंग में गीत की उपादेयता पर कुछ कहना ही मुझे जरूरी लगता है । गीत स्वयं ही अपने सन्दर्भों का परिचय दें, यही उचित होगा ।
सूर्योदय की जिज्ञासा और सूर्यास्त के प्रश्न - दोनों ही इन गीतों में मिलेंगे । आधुनिक सोच के लिए लयानुगत काव्य-माध्यम उपयुक्त है या नहीं, इस बहस में न पड़कर मैं गीतों से कहूँगा कि वे बोलें । मैंने चाहा है कि ये गीत वार्तालाप की एक स्थिति उत्पन्न करें, जिससे सामयिक सन्दर्भ भी जुड़े हों । लय-छंद मेरे तईं उस संस्कार की अनिवार्य शर्तें हैं, जिससे कोई भी अनुभव काव्य बनता है । ये गीत उन शर्तों को कहाँ तक पूरा कर पाएँ हैं, यह दूसरी ओर के लोग ही बताएँगे, मैं नहीं।
आभारी हूँ, उस सारे परिवेश का, जिसने मुझे गीत से जोड़ा और जुड़ा रखा । जिन पूज्य अग्रजों ने अपने दुलार और प्रोत्साहन से मुझे गीत का संस्कार दिया, उनसे उऋण होने की चेष्टा मुझे काम्य नहीं है । काव्य के वे सभी सन्दर्भ मुझे प्रिय हैं, जिनसे मुझे गीत का परिचय बार-बार मिला है । परिवार में सभी ने, सुहृदों और मित्रों ने जिस ममत्व से मेरे गीतकार होने के हठ को सहा है, पाला है, उसके लिए कुछ भी न कहना ही मुझे उचित लगता है । और अंत में आभार उन सभी का, जो इस संकलन को यह रूप देने में सहयोगी हुए, जिससे यह सबके सामने उपस्थित हो सके ।
                                                                        - कुमार रवीन्द्र
संपर्क :
क्षितिज, ३१० अर्बन एस्टेट हिसार ( हरियाणा ) १२५००५
फोन : २४७३४७ मो : ९४१६९-९३२६४
इ-मेल संपर्क : kumarrvindra310@gmail.com