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एक युग का अवसान भी / राकेश प्रियदर्शी

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बच्चा माँ-बाप के लिए

सिर्फ कलेजे का टुकड़ा नहीं,

आंखों का तारा भी होता है


हँसता-खिलखिलाता, खेलता-कूदता बच्चा

सिर्फ घर का महमह फूल ही नहीं होता,

माँ-बाप की जिन्दगी भी होता है बच्चा


निठारी में या दंगों में बच्चा

जब भी मारा जाता है तो

माँ-बाप का सिर्फ कलेजा ही नहीं फटता

आँखों के कोर से खून के आँसू भी बहते हैं


काली व्यवस्था वाले रंगों में

सफेदी की ओर से लाख मुआवजे

की घोषणाओं का हो चमत्कार

इस तरह की मौत का कोई मुआवजा नहीं होता


मेरे दोस्त! किसी बच्चे की मौत

सिर्फ मौत नहीं होती,

एक इतिहास की भी मौत होती है,

मौत होती है एक सपने की भी,

एक भविष्य की भी मौत होती है,

एक युग का अवसान भी होता है