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मुक्ति पथ / राकेश प्रियदर्शी

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हम श्रम करते रहे और तुम आदेश,

हमारा सिर्फ कर्त्तव्य रहा और तुम्हारा अधिकार


हम हमेशा हाशिए पर रहे और तुम केन्द्र में,

हम निहत्थे रहे और तुम शास्त्र-शस्त्र से सुसज्जित


लेकिन अब हम चुप नहीं रहेंगे,

हम अपने अवसर और सम्मान लेकर रहेंगे


तुम जिस पथ से करते रहे शोषण व अत्याचार,

वही सत्ता-पथ बनेगा दलितों की मुक्ति का आधार