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दही-बड़े हम / प्रकाश मनु

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दही-बड़े हम
दही-बड़े ।
दौड़े आओ
मत शरमाओ ,
खाओ भाई खड़े-खड़े ।


स्वाद मिलगा
कहीं न ऐसा
चखकर देखो,
फेंको पैसा
बड़ी चटपटी
हँसी हमारी ,
खट्टे-मीठे हैं नखरे ।


डंका हमने
ख़ूब बजाया,
अजब अनोखा
रंग जमाया
ठेले पर हैं
खड़े हुए
लाला, बाबू बड़े-बड़े ।

दही-बड़े हम
दही-बड़े ।