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बूढ़ी बेरिया / पवन करण

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टोकती नहीं

स्कूल जाते समय बच्चों को

लौटते वक़्त उन्हें

पास बुलाती है

बूढ़ी बेरिया


उनसे करती है

बेरों की भाषा में

खट्टी-मीठी बातें


उनके प्रेम में जीवन-भर

अभिभूत

माँ-सी बेरिया

रख ही नहीं पाती याद


बच्चों ने उस पर

कब कितने

पत्थर उछाले