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गीतावली पद 101 से 110 तक / पृष्ठ 5
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राजति राम-जानकी-जोरी |
स्याम-सरोज जलद सुन्दर बर, दुलहिनि तड़ित-बरन तनु गोरी ||
ब्याह समय सोहति बितानतर, उपमा कहुँ न लहति मति मोरी |
मनहुँ मदन मञ्जुल मण्डपमहँ छबि-सिँगार-सोभा इक ठौरी
मङ्गलमय दोउ, अंग मनोहर, ग्रथित चूनरी पीत पिछोरी |
कनककलस कहँदेत भाँवरी, निरखि रुप सारद भै भोरी ||
इत बसिष्ठ मुनि, उतहि सतानँद, बंस बखान करैं दोउ ओरी |
इत अवधेस, उतहि मिथिलापति, भरत अंक सुखसिन्धु हिलोरी ||
मुदित जनक, रनिवास रहसबस, चतुर नारि चितवहिं तृन तोरी |
गान-निसान-बेद-धुनि सुनि सुर बरसत सुमन, हरष कहै कोरी?||
नयननको फल पाइ प्रेमबस सकल असीसत ईस निहोरी |
तुलसी जेहि आनन्दमगन मन, क्यों रसना बरनै सुख सो री ||