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गीतावली पद 71 से 80 तक / पृष्ठ 2

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पूजि पारबती भले भाय पाँय परिकै |
सजल सुलोचन, सिथिल तनु पुलकित,
आवै न बचन, मन रह्यो प्रेम भरिकै ||
अंतरजामिनि भवभामिनि स्वामिनिसों हौं,
कही चाहौं बात, मातु अंत तौ हौं लरिकै |
मूरति कृपालु मञ्जु माल दै बोलत भई,
पूजो मन कामना भावतो बरु बरिकै ||
राम कामतरु पाइ, बेलि ज्यों बौण्ड़ी बनाइ,
माँग-कोषि तोषि-पोषि, फैलि-फूलि-फरिकै |
रहौगी, कहौगी तब, साँची कही अंबा सिय,
गहे पाँय द्वै, उठाय, माथे हाथ धरिकै ||
मुदित असीस सुनि, सीस नाइ पुनि पुनि,
बिदा भई देवीसों जननि डर डरिकै |
हरषीं सहेली, भयो भावतो, गावतीं गीत,
गवनी भवन तुलसीस-हियो हरिकै ||