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गीतावली पद 81 से 90 तक/पृष्ठ 3
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देखि देखि री! दोउ राजसुवन |
गौर स्याम सलोने लोने लोने, लोयननि,
जिन्हकी सोभा तें सोहै सकल भुवन ||
इन्हहीं ताडका मारी, मग मुनि-तिय तारी,
ऋषिमख राख्यो, रन दले हैं दुवन |
तुलसी प्रभुको अब जनकनगर-नभ,
सुजस-बिमल-बिधु चहत उवन ||