भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गीतावली अयोध्याकाण्ड पद 36 से 50/पृष्ठ 4

Kavita Kosh से
Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:09, 4 जून 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तुलसीदास |संग्रह= गीतावली/ तुलसीदास }} {{KKCatKavita}} [[Category…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


(39)
आली री पथिक जे एहि पथ परौं सिधाए |
ते तौ राम-लषन अवधतें आए ||

सङ्ग सिय सब अंग सहज सोहाए |
रति-काम-ऋतुपति कोटिक लजाए ||

राजा दसरथ, रानी कौसिला जाए |
कैकेयी कुचाल करि कानन पठाए ||

बचन कुभामिनीके भूपहि क्यों भाए
हाय हाय राय बाम बिधि भरमाए ||

कुलगुर सचिव काहू न समुझाए |
काँच-मनि लै अमोल मानिक गवाँए ||

भाग मग-लोगनिके, देखन जे पाए |
तुलसी सहित जिन गुन-गन गाए ||