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गीतावली अयोध्याकाण्ड पद 50 से 60/पृष्ठ 8

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मुएहु न मिटैगो मेरो मानसिक पछिताउ |
नारिबस न बिचारि कीन्हौं काज, सोचत राउ ||

तिलकको बोल्यौ, दिये बन, चौगुनो चित चाउ |
हृदय दाड़िम ज्यौं न बिदर्यो समुझि सील-सुभाउ ||

सीय-रघुबर-लषन बिनु भय भभरि भगी न आउ |
मोहि बूझि न परत, यातें कौन कठिन कुघाउ ||

सुनि सुमन्त! कि आनि सुन्दर सुवन सहित जिआउ |
दास तुलसी नतरु मोको मरन अमिय पिआउ ||