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गर्भस्थ शिशु से / नील कमल
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गर्भस्थ शिशु
झिल्लियों के पर्दे से
ज़रा चीख़ो
देखो, कहाँ तक जाती है आवाज़
झटक कर बाँहें
मींच कर आँखे
जन्मदात्री के जरायु में
उछलो एक बार
देखो, दुनिया तुम्हारे लिए है
कितनी बेक़रार
कौन कितना सिमट सकता है
तुम्हें जगह देने के लिए
देखो तुम्हारा आना
कितना बड़ा प्रश्न है
फिर भी कोई नहीं चौंकता
कि आना हादसे की तरह नहीं होता
तुम आओ
हादसे की तरह
विद्रोहियों की क्राँति की तरह
उतरो हथेलियों के समतल पर
असमय से पहले ।