Last modified on 11 जून 2011, at 00:31

कुम्‍हार का गीत / हरिवंशराय बच्चन

Tusharmj (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:31, 11 जून 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


चाक चले चाक!
चाक चले चाक!
अंबर दो फाँक-

आधे में हंस उड़े, आधे में काक!

चाक चले चाक!


चाक चले चाक!
धरती दो फाँक-

आधी में न‍ीम फले, आधी में दाख!

चाक चले चाक!


चाक चले चाक!
दुनिया दो फाँक-

आधी में चाँदी है, आधी में राख!

चाक चले चाक!


चाक चले चाक!
जीवन दो फाँक-

आधे में रोदन है, आधे में राग!

चाक चले चाक!


चाक चले चाक!
बाज़ी दो फाँक,
ख़ूब सँभल आँक-

जुस है किस मुट्ठी, ताक?

चाक चले चाक!


चाक चले चाक!
चाक चले चाक!...