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यों पहुँचने को हज़ारों की नज़र तक पहुँचा / गुलाब खंडेलवाल

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यों पहुँचने को हजारों की नज़र तक पहुँचा
फूल लेकिन न बहारों की नज़र तक पहुँचा

दी थी आवाज़ बहुत डूबनेवाले ने, मगर
बुलबुला सिर्फ किनारों की नज़र तक पहुँचा

अक्ल को राह न मिल पायी खुद अपने घर की
प्यार का अक्स सितारों की नज़र तक पहुँचा

उनको हर बात में एक बात नयी आयी नज़र
नाम जब आपका यारों की नज़र तक पहुँचा

हो गया क़ैद भले ही तेरे काँटों में गुलाब
बनके खुशबू तो हजारों की नज़र तक पहुँचा