Last modified on 16 जून 2011, at 16:16

पूंजीवादी व्यवस्था / केदारनाथ अग्रवाल

Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:16, 16 जून 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=हे मेरी तुम / केदारनाथ …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

(पूंजीवादी व्यवस्था के प्रति केदारनाथ जी के उद्गार)

 हे मेरी तुम
डंकमार संसार न बदला
प्राणहीन पतझार न बदला
बदला शासन, देश न बदला
राजतंत्र का भेष न बदला,
भाव बोध उन्मेष न बदला,
हाड़-तोड़ भू भार न बदला
कैसे जियें?
यही है मसला
नाचे कोैन बजाये तबला?