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पीने की देर है न पिलाने की देर है / गुलाब खंडेलवाल
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पीने की देर है न पिलाने की देर है
प्याला हमारे हाथ में आने की देर है
हैं सैंकडों सवाल, हजारों शिकायतें
होली पे उनको सामने पाने की देर है
मंज़िल हरेक क़दम पे है इस दिल की राह में
बेगानगी का परदा हटाने की देर है
देखेंगे सर को गोद में हम उनकी रात भर
बेहोश हो के होश में आने की देर है
दम भर में बदल जायगी रंगत तेरी, गुलाबी!
उनके ज़रा निगाह उठाने की देर है