भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जो भी वादे कराये गये / गुलाब खंडेलवाल

Kavita Kosh से
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:37, 23 जून 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=कुछ और गुलाब / गुलाब खंड…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


जो भी वादे कराये गये
सब हँसी में उड़ाए गये

उनकी महफ़िल न फीकी पडी
लोग कितने ही आये, गये

एक दीपक नहीं जल सका
लाख दीपक बुझाए गये

फूल चुभते थे जिन को, वही
आग पर से चलाये गये

मिल न पाए कहीं जब गुलाब
उनकी आँखों में पाये गये