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जो भी वादे कराये गये / गुलाब खंडेलवाल
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जो भी वादे कराये गये
सब हँसी में उड़ाए गये
उनकी महफ़िल न फीकी पडी
लोग कितने ही आये, गये
एक दीपक नहीं जल सका
लाख दीपक बुझाए गये
फूल चुभते थे जिन को, वही
आग पर से चलाये गये
मिल न पाए कहीं जब गुलाब
उनकी आँखों में पाये गये