कोहिमा / शहंशाह आलम
सब कुछ नष्ट हो रहा है यहां
शब्द और वाक्य
दुकानें और कमरे
अनुभव और स्मृतियां
दूब और पेड़ और प्रेम
सब कुछ नष्ट हो रहा है यहां
गोधूलि का समय
ख़ूबसूरती की कथाएं
वन-प्रांतर के क़िस्से
आकाश के नक्षत्र बादल
पत्तों पर की बारिश की बूंदें और ओस
पूर्वोत्तर के प्रांतों में घूमते हुए
यात्री खोजेगा ईश्वर को
वन-संध्या में गाढ़ी होती रात्रि
वन-प्रांतर में गाढ़े होते दुखों के बारे में पूछेगा
उस पिता के नेत्रों में
यात्री तलाशेगा खोजेगा
नामालूम कौन-सा देवता
जिसका कि जवान बेटा
मार डाला गया
उस अधेड़ और सुंदर शिक्षिका के यहां
चाय पीते हुए
यात्री पाना चाहेगा थोड़ा-सा सुकून
अपनी थकान मिटाने के वास्ते
यहां के बाशिंदों से
यात्री सुनना पसंद करेगा
कोई पवित्र लोकगीत
बिलकुल पास से बहती नदी को छुएगा यात्री
और क़ैद कर लेगा अपने कैमरे में आह्लादित
सब कुछ नष्ट हो रहा है यहां
लेकिन सब कुछ नष्ट नहीं होने देगा यात्री
रक्त की बरसात सह लेगा
कोहिमा की पीड़ाओं से
प्रसन्नता और उम्मीद चुराकर लौटेगा
यहां की औरतों और बच्चों
युवतम लड़कियों और लड़कों से बातचीत कर
अगली यात्रा की तैयारी करेगा।