भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हो न मुश्किल ये तड़पना मगर आसान नहीं / गुलाब खंडेलवाल

Kavita Kosh से
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:20, 25 जून 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=कुछ और गुलाब / गुलाब खंडे…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


हो न मुश्किल ये तड़पना मगर आसान नहीं
काम आसान है अपना, मगर आसान नहीं

जान देना तो है आसान बहुत लपटों में
उम्र भर आग में तपना मगर आसान नहीं

हम उसीके हैं, उसीके हैं, उसीके हैं सदा
वह भी समझे हमें अपना मगर आसान नहीं

एक ही रात है, नींद एक है, बिस्तर है एक
एक आँखों का हो सपना मगर आसान नहीं

यों तो राही हैं सभी एक ही मंजिल के, गुलाब!
तेरा इस भीड़ में खपना मगर आसान नहीं