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ग़म बहुत, दर्द बहुत, टीस बहुत, आह बहुत / गुलाब खंडेलवाल
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ग़म बहुत, दर्द बहुत, टीस बहुत, आह बहुत
फिर भी दिल को है उसी बेरहम की चाह बहुत
हमने माना कि खुशी आपको होती इसमें
हैं मगर आपकी खुशियों से हम तबाह बहुत
क्या हुआ अब जो इधर रुख नहीं करता कोई
चाह है तो मिलेगी बंदगी की राह बहुत
हाय! उस दूध की धोई नज़र का भोलापन!
सैंकडों खून भी करके है बेगुनाह बहुत
यों तो उस दिल में बसी आपकी सूरत ही, गुलाब!
है मगर और भी फूलों से रस्मो-राह बहुत