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दर्द दिल थाम के सहते हैं, हम तो चुप ही हैं / गुलाब खंडेलवाल

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दर्द दिल थाम के सहते हैं, हम तो चुप ही हैं
लोग क्या-क्या नहीं कहते हैं, हम तो चुप ही हैं

आप क्यों दिल के तड़पने का बुरा मान गये!
आप से कुछ नहीं कहते हैं, हम तो चुप ही हैं

सुर्ख बादल जो उमड़ आये थे आँखों में कभी
बन के आँसू वही बहते हैं, हम तो चुप ही हैं

हम ख़तावार नहीं दिल के बहक जाने के
ये कगार आप ही ढहते हैं, हम तो चुप ही हैं

उनकी आँखों में खिले हैं इधर कुछ ऐसे गुलाब
ख़ुद वही छेड़ते रहते हैं, हम तो चुप ही हैं