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राह फूलों से सजेगी एक दिन / गुलाब खंडेलवाल

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राह फूलों से सजेगी एक दिन
प्यार की डोली उठेगी एक दिन

उनपे मरते हैं हमारी मौत भी
ज़िन्दगी बनकर रहेगी एक दिन

प्यार सच्चा है तो मंजिल दूर क्या!
खुद ही पाँवों से लगेगी एक दिन

ज़िन्दगी के ठाठ पर मत जाइए
यह निगाहें फेर लेगी एक दिन

धूल से मुँह मोड़ना कैसा, गुलाब!
धूल ही बिस्तर बनेगी एक दिन