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एक अनजान के घेरे में बंद हैं हम लोग / गुलाब खंडेलवाल

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एक अनजान के घेरे में बंद हैं हम लोग
ख़ुद अपने मन के अँधेरे में बंद हैं हम लोग

उदास साँझ, हवा सर्द है, बादल हैं घिरे
और परदेस के डेरे में बंद हैं हम लोग

उन्हें भी आपकी ख़ुशबू ने छू लिया है, गुलाब!
जो कह रहे हैं कि घेरे में बंद हैं हम लोग