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लीजिये बढ़के अपनी बाँहों में / गुलाब खंडेलवाल

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लीजिये बढ़के अपनी बाँहों में
हम भी बैठे हैं दिल की राहों में

वह किसी फूल में नहीं देखी
जैसी ख़ुशबू थी उन निगाहों में

कुछ तो इस दिल ने कह दिया था उन्हें
कल सितारों की नर्म छाँहों में

वे ख़यालों में ही मिलें तो कभी
है अँधेरा इन ऐशगाहों में!

आज ऊँचे पे खिल रहे हैं गुलाब
उनको काँटे चुभे न बाँहों में