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यों तो हमसे न कोई बात छिपायी जाती / गुलाब खंडेलवाल

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यों तो हमसे न कोई बात छिपायी जाती
पर नज़र उनकी नज़र से न मिलायी जाती

उड़के ख़ुशबू तेरे बालों की तो आयी हर वक़्त
लाख हमसे तेरी सूरत थी छिपायी जाती

सैकड़ों प्यार की दुनिया तबाह करके ही
एक इंसान की तक़दीर बनायी जाती

तुझसे मिलकर तो बढ़ी है ये जलन, तू ही बता
और किस तरह लगी दिल की बुझायी जाती!

ख़ून जब अपने कलेजे का बहाते हैं गुलाब
पंखड़ी तब तेरे चरणों पे चढ़ायी जाती