Last modified on 5 जुलाई 2007, at 01:39

जगह वही / प्रयाग शुक्ल

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:39, 5 जुलाई 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रयाग शुक्ल |संग्रह=यह जो हरा है / प्रयाग शुक्ल }} वही ज...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


वही जगह

जिसे कहूँ अपनी है ।

अपनों की--


जगह है ।


जँहा जब इच्छा हो

बुला सकूँ बीती स्मृतियों को

हँसे नहीं कोई ठठाकर

उन पर ।


जहाँ मैं रहूँ और कोई यह

कोशिश करे नहीं

तौलने-परखने की

क्या मेरी ताकत है,

मेरी उस जगह पर !