भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सबसे पिछली क़तार का आदमी / प्रयाग शुक्ल
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:24, 5 जुलाई 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रयाग शुक्ल |संग्रह=अधूरी चीज़ें तमाम / प्रयाग शुक्ल }...)
सोचता है सबसे पिछली क़तार
का आदमी
सारी अगली क़तारों के बारे में ।
कहता नहीं,
सोचता है--
हम सब हो सकते थे
एक ही क़तार में--
बस आदमी !