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सबसे पिछली क़तार का आदमी / प्रयाग शुक्ल

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सोचता है सबसे पिछली क़तार

का आदमी

सारी अगली क़तारों के बारे में ।


कहता नहीं,

सोचता है--

हम सब हो सकते थे

एक ही क़तार में--

बस आदमी !