भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बिटिया बड़ी हो गई / अंजना बख्शी

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:34, 6 जुलाई 2011 का अवतरण (बिटिया बड़ी हो गई / अंजना बक्शी का नाम बदलकर बिटिया बड़ी हो गई / अंजना बख्शी कर दिया गया है)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

देख रही थी
उस रोज़ बेटी को
सजते-सँवरते
शीशे में अपनी
आकृति घंटों निहारते
नयनों में आस का
काजल लगाते,

उसके दुपट्टे को
बार-बार सरकते
और फिर अपनी उलझी
लटों को सुलझाते
हम उम्र लड़कियों के
साथ हँसते-खिलखिलाते ।

माँ से अपनी हर बात छिपाते
अकेले में ख़ुद से
सवाल करते,
फिर शरमा के,
सर को झुकाते ।

और फिर कभी स्तब्ध
मौंन हो जाते;
कभी-कभी आँखों
से आँसू बहाते
फिर दोनों हाथों से
मुँह को छिपाते ।
      
देखकर सोचती हूँ उसे
लगता है,
बिटिया अब बड़ी
हो गई है !!