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हर सुबह एक ताज़ा गुलाब, आपकी बेरुख़ी का जवाब / गुलाब खंडेलवाल

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हर सुबह एक ताज़ा गुलाब
आपकी बेरुख़ी का जवाब

वह तो हम हैं कि कहते नहीं
कौन पीता है जूठी शराब!

कुछ तो मतलब भी समझाइये
ख़त्म होने को आयी किताब

हमने ग़ज़लों में है रख दिया
ज़िन्दगी भर का लब्बो-लबाब

आप नज़रें फिरा लें तो क्या!
आपके हो चुके है गुलाब