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नित डुले चँवरवा / कुमार रवींद्र
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सारे दिन शुभ-असीस
पूनो या परवा
चार खूँट रोज़ बँटे
धूप का पुजापा
माँग-भरे साँझ-ढले
दूधिया बुढ़ापा
चार जुग सुहागिल है
अम्मा का करवा
तुलसी पर दिया सजे
मन्दिर में देवा
गौरा के आँगन में
सिद्ध करें सेवा
चौखट पर चौक पुरे
हैं सुखी सगरवा
अक्षत है ड्योढ़ी
हैं नाज-भरे कोठे
पोढ़ा घर-बार
सिंचे नेह से बरोठे
पुरखों के माथे पर
नित डुले चँवरवा